समावेशी विकास के लिए प्रयास और जनहित में कार्य करना सभी विधायकों का कर्तव्य : राष्ट्रपति मुर्मु

जयपुर। राष्ट्रपति (President) द्रौपदी मुर्मु (Droupadi Murmu) ने राजस्थानी भाषा में 15वीं विधानसभा के 8वें सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि राजस्थान (Raasthan) की पावन धरती को नमन, बलिदान की धोरां री धरती राजस्थान के निवासियों को घणी शुभकामनांए।

इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि संविधान के सिद्धांत हमारे स्वतंत्रता संग्राम के आदर्शों पर स्थापित किये गये हैं। न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के ये संवैधानिक आदर्श सभी विधायकों के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत होने चाहिए।

राष्ट्रपति ने कहा कि राजस्थान में सभ्यता और संस्कृति के हर पक्ष में अत्यंत सशक्त परंपराएं हैं। स्वाभिमान के लिए लड़ने की भावना राजस्थान के लोगों में कूट-कूट कर भरी हुई है। यह राजस्थान के गौरवशाली इतिहास का आधार रहा है। उन्होंने कहा कि राजस्थान की जनजातियों सहित सभी समुदायों के लोगों ने देशभक्ति की अनूठी मिसालें पेश की हैं।

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राष्ट्रपति ने कहा कि राजस्थान की लोक मनमोहक प्रकृति और कलाकृतियां दुनिया भर के लोगों को आकर्षित करती हैं। जैसलमेर के रेगिस्तान से लेकर माउंट आबू तक, उदयपुर की झीलें और रणथंभौर के जंगल प्रकृति की शानदार छटा प्रस्तुत करते हैं। उन्होंने कहा कि राजस्थान के उद्यमशील लोगों ने भारत और विदेशों में वाणिज्य और व्यापार के विभिन्न क्षेत्रों में अमिट छाप छोड़ी है।

राष्ट्रपति ने कहा कि यह राजस्थान के लिए गौरव की बात है कि वर्तमान संसद के दोनों सदनों की अध्यक्षता राजस्थान विधानसभा के पूर्व सदस्य कर रहे हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि समानता और लोकतांत्रिक भावनाओं पर आधारित राजव्यवस्था इस धरती पर प्राचीन काल से ही मौजूद है। आजादी के बाद मोहनलाल सुखाड़िया से लेकर भैरोंसिंह शेखावत तक जन प्रतिनिधियों ने राज्य में समावेशी एवं कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में प्रभावी नेतृत्व प्रदान किया।

उन्होंने जोर देते हुए कहा कि समावेशी विकास की इस परंपरा को मजबूत करते हुए जनहित में कार्य करना सभी विधायकों का कर्तव्य है।

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