Surya Rashi Parivartan 2023 : सूर्य के राशि परिवर्तन से मेष, कर्क, वृश्चिक एवं धनु राशि वालों की बदलेगी किस्मत, जाने अन्य राशियों का हाल

ज्योतिषविद् विमल जैन

ज्योतिष शास्त्र में सूर्यग्रह का नवग्रहों में सर्वोपरि स्थान है। ज्योतिष की गणना के अनुसार मेष राशि से मीन राशि तक सूर्यग्रह प्रत्येक मास एक राशि से दूसरे राशि में प्रवेश करते हैं। इस बार सूर्यग्रह सिंह राशि से कन्या राशि में प्रवेश करेंगे। जिसका व्यापक प्रभाव पूरे विश्व में देखने को मिलता है।

प्रख्यात ज्योर्तिवद् विमल जैन ने बताया कि सूर्यग्रह कन्या राशि में 17 सितम्बर, रविवार को दिन में 1 बजकर 30 मिनट पर प्रवेश करके 17 अक्टूबर, मंगलवार को अद्र्धरात्रि के पश्चात 1 बजकर 30 मिनट तक इसी राशि में रहेंगे। इस एक माह की यह अवधि कन्या संक्रान्ति के नाम से जानी जाएगी। संक्रान्ति का सामान्य पुण्यकाल प्रात: 7 बजकर 06 मिनट से संक्रान्ति काल (सूर्यास्त) तक रहेगा। संक्रान्तिकाल में स्नान-दान की महिमा बताई गई है।

ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि इस दिन सूर्य, चंद्रमा, मंगल-कन्या राशि में, बुध-सिंह राशि में, गुरु, राहु-मेष राशि में; शुक्र-कर्क राशि में, शनि-कुम्भ राशि में, तथा केतु-तुला राशि में विराजमान रहेंगे। सूर्य-शनि में षडाष्टक योग बन रहा है। वर्तमान समय में गुरु एवं शनि वक्रगति से चल रहे हैं, जिसके फलस्वरूप अनेक अप्रत्याशित घटनाएँ देखने को मिलेंगी। राजनैतिक पक्ष में आरोप-प्रत्यारोप चरम सीमा पर रहेगा।

देश-विदेश के राजनैतिक घटनाक्रम में अचानक तेजी से नये स्वरूप व गतिविधियों के साथ ही शेयर, वायदा व धातु बाजार में विशेष उतार-चढ़ाव, घटा-बढ़ी से विशेष हलचल देखने को मिलेगा। प्राकृतिक दैविक आपदाएँ, जल-थल वायु दुर्घटनाओं का प्रकोप तथा कहीं-कहीं पर आगजनी की आशंका रहेगी। कहीं-कहीं पर वर्षा से भू-स्खलन की आशंका रहेगी।

किसी मुद्दे को लेकर असन्तोष रहेगा। सत्ता पक्ष व विपक्ष में परिवर्तन के साथ ही आरोप-प्रत्यारोप को भी नकारा नहीं जा सकता। मौसम में अजीबो-गरीब परिवर्तन देखने को मिलेगा। धर्म के प्रति जागरूकता बढ़ेगी। आॢथक व राजनैतिक घोटाले भी शासक-प्रशासक पक्ष के सामने आयेंगे।

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ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि ग्रहों के योग के फलस्वरूप द्वादश राशियाँ भी प्रभावित होंगी। सूर्यग्रह के कन्या राशि में आने से मेष, कर्क, वृश्चिक एवं धनु राशि वालों के लिए यह माह विशेष लाभकारी रहेगा।

ग्रहों के योग के फलस्वरूप द्वादश राशियाँ भी प्रभावित, जाने कैसे

मेष-नवयोजना का शुभारम्भ। ग्रहस्थिति पक्ष में। उपहार या सम्मान का लाभ। राजकीय पक्ष से लाभान्वित। बौद्धिक क्षमता में वृद्धि।
वृषभ-भाग्य में न्यूनता। व्यक्तिगत समस्याओं से परेशानी। परिवार में अशान्ति का वातावरण। आरोग्य सुख में व्यवधान।
मिथुन-कार्ययोजना में प्रतिकूलता। व्यावसायिक पक्ष से चिन्ता। पारिवारिक मतभेद। जोखिम से नुकसान। विरोधी प्रभावी।
कर्क-आरोग्य सुख की प्राप्ति। परिस्थितियों में सुधार। आकस्मिक लाभ। नौकरी में पदोन्नति। कर्ज की निवृत्ति। यात्रा सार्थक।
सिंह-विचारित कार्यों में विलम्ब। आलस्य की अधिकता। लाभ में कमी। आत्मसंतुलन में व्यतिक्रम। नेत्र विकार की स्थिति।
कन्या-क्रोध की अधिकता। धनागम में बाधा। विश्वासघात की आशंका। वाहन से कष्ट। अपयश की आशंका। आर्थिक हानि।
तुला-कार्य के प्रति असंतोष। यात्रा में निराशा। व्यय की अधिकता। व्यर्थ भ्रमण। आत्मीयजनों से कष्ट।
वृश्चिक-आरोग्य सुख की प्राप्ति। परिस्थितियाँ भाग्य के पक्ष में। आकस्मिक लाभ। स्वास्थ्य में सुधार। कर्ज की निवृत्ति। यात्रा से लाभ।
धनु-आय के नवीन साधन सुलभ। प्रेम सम्बन्धों में प्रगाढ़ता। यात्रा सकुशल। कर्ज अदायगी का प्रयास। मनोरंजन में रुचि।
मकर-कार्य व्यवसाय में निराशा। विश्वासघात की आशंका। सुख-साधन में कमी। वाहन से कष्ट। विचारों में उग्रता। यश में कमी।
कुम्भ-ग्रहस्थिति प्रतिकूल। उलझनें प्रभावी। कर्ज की चिन्ता। चोट-चपेट की संभावना। धर्म के प्रति अरुचि। आर्थिक पक्ष से कष्ट।

मीन-प्रगति में बाधा। आपसी सम्बन्धों में कटुता। आलस्य की अधिकता। विचारों में उग्रता। प्रतिष्ठा पर आघात।

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जिनकी जन्मकुण्डली में सूर्यग्रह का प्रतिकूल प्रभाव मिल रहा हो, साथ ही शनिग्रह की अढ़ैया या साढ़ेसाती हो,उन्हें अपने दैनिक जीवन में समस्त कार्य सूझ-बूझ व सतर्कता के साथ करनी चाहिए। जोखिम के कार्यों से बचना चाहिए। उन्हें सूर्यग्रह का उपाय अवश्य करना चाहिए।

विशेष

सूर्यग्रह की प्रसन्नता के लिए अपने आराध्य देवी-देवता की आराधना के साथ सूर्यग्रह की भी अर्चना नियमित रूप से करनी चाहिए। प्रात:काल स्नान के पश्चात् स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए। तत्पश्चात् सूर्य भगवान को ताम्रपात्र में रोली, अक्षत, लाल फूल एवं गुड़ डालकर अघ्र्य अर्पित करना चाहिए। साथ ही सूर्यग्रह के मन्त्र का जप, श्रीआदित्यहृदय स्तोत्र, श्रीआदित्यकवच, श्रीसूर्यसहस्रनाम आदि का पाठ भी करना चाहिए।

रविवार के दिन पूर्ण शुचिता के साथ व्रत या उपवास रखकर दिन में 12 बजे से 3 बजे के मध्य बिना नमक का फलाहार करना चाहिए तथा मध्याह्न के समय ब्राह्मण को सूर्यग्रह से सम्बन्धित लाल रंग की वस्तुएँ जैसे-लाल वस्त्र, गेहूँ, गुड़, ताँबा, लाल फूल, चन्दन आदि विविध वस्तुएँ नगद दक्षिणा सहित संकल्प के साथ दान करना चाहिए।

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(हस्तरेखा विषेशज्ञ, रत्न-परामर्शदाता, फलित अंक ज्योतिषी एवं वास्तुविद्, एस.2/1-76 ए, द्वितीय तल, वरदान भवन, टैगोर टाउन एक्सटेंशन, भोजूबीर, वाराणसी -221002)

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