जयपुर, 1 नवंबर। कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाने वाली देवउठनी एकादशी (प्रबोधिनी एकादशी) इस वर्ष विशेष योग में आ रही है।
इस दिन भगवान विष्णु चार महीने की योगनिद्रा से जागते हैं और सृष्टि में पुनः शुभ कार्यों का प्रारंभ होता है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार, देवउठनी एकादशी के दिन व्रत और पूजा करने से मोक्ष और अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। यह दिन विवाह, गृहप्रवेश, अन्नप्राशन और नए कार्यों की शुरुआत के लिए अत्यंत शुभ माना गया है।
ज्योतिषविद् विमल जैन, हस्तरेखा विशेषज्ञ, रत्न परामर्शदाता और अंक ज्योतिषी ने बताया कि इस वर्ष देवउठनी एकादशी पर विशेष शुभ योग और अमृत काल का संयोग बन रहा है, जो धार्मिक दृष्टि से अत्यंत लाभकारी रहेगा।
📜 आज का पंचांग – 1 नवंबर 2025
- तिथि: कार्तिक शुक्ल दशमी समाप्त सुबह 9:11 बजे तक
- योग: ध्रुव योग (रात 2:10 बजे तक, 2 नवंबर)
- करण: गरज (सुबह 9:11 बजे तक), वणिज (रात 8:27 बजे तक)
- वार: शनिवार
सूर्योदय: सुबह 6:33 बजे
सूर्यास्त: शाम 5:36 बजे
चंद्रोदय: दोपहर 2:49 बजे
चंद्रास्त: रात 2:46 बजे (2 नवंबर)
सूर्य राशि: तुला
चंद्र राशि: कुंभ
🌞 आज के शुभ मुहूर्त
- अभिजीत मुहूर्त: 11:42 AM – 12:27 PM
- अमृत काल: 11:17 AM – 12:51 PM
⚠️ अशुभ काल
- राहुकाल: 9:19 AM – 10:42 AM
- गुलिक काल: 6:33 AM – 7:56 AM
- यमगण्ड: 1:27 PM – 2:50 PM
🌕 आज का नक्षत्र — शतभिषा नक्षत्र
- समय: शाम 6:20 बजे तक
- स्वामी: राहु देव
- देवता: वरुण देव (जल देवता)
- प्रतीक: खाली घेरा
- राशि स्वामी: शनि देव
नक्षत्र की विशेषताएं:
उच्च बुद्धिमत्ता, नेतृत्व क्षमता, धैर्य, स्वतंत्रता प्रियता, और सीमाओं को तोड़ने की प्रवृत्ति।
🪔 देवउठनी एकादशी पूजा विधि
- प्रातःकाल स्नान कर पीले वस्त्र धारण करें।
- भगवान विष्णु के शालिग्राम स्वरूप या चित्र पर जल, फूल, धूप, दीप से पूजा आरंभ करें।
- तुलसी दल, गंगाजल और पंचामृत से अभिषेक करें।
- “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जप करें।
- भगवान विष्णु को खीर, फल और तुलसी पत्र का भोग लगाएं।
- रात्रि में दीपदान करें और देवजागरण कथा सुनें।
- अंत में दान और अन्न सेवा का संकल्प लेकर व्रत पूर्ण करें।
