जयपुर। भारत की अंतिम प्राधिकृत शक्ति संविधान है और इसका संचालन इसी से होगा। भारत के मुसलमान, धार्मिक अल्पसंख्यक, दलित और ट्राइबल संविधान की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं और किसी भी फासीवादी ताक़त को भारत पर क़ब्ज़ा नहीं करने दिया जाएगा। यह बात आज जयपुर में ‘देश बचाओ, दस्तूर बचाओ कॉन्फ्रेंस’ में उभर कर आई। तहरीक उलामा ए हिन्द के बैनर तले आयोजित समारोह में वक्ताओं ने देश में धार्मिक अल्पसंख्यकों, दलित और जनजातियों पर हिन्दूवादी ताकतों के हमले की निन्दा करते हुए एक ज्ञापन भी तैयार किया गया जिसे बाद में भारत के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के नाम पर रवाना किया गया।

मुख्य आयोजक एवं तहरीक उलामा ए हिन्द के राष्ट्रीय अध्यक्ष खालिद अय्यूब मिस्बाही ने इस्लाम के पैग़म्बर मुहम्मद साहब की हदीस का हवाला देते हुए बताया कि पैग़म्बर साहब ने कंघी के दांतों की बराबरी का उदाहरण देते हुए कहा था कि इसी प्रकार हर मानव बराबर हैं। उन्होंने कहाकि किसी भी प्रकार की प्रताड़ना के जवाब में हम किसी भी हालत में क़ानून हाथ में नहीं लेंगे। उन्होंने संविधान की रक्षा और मुस्लिम दलित एकता पर बल दिया। मुफ्ती ख़ालिद ने कहाकि हम हर प्रताड़ना का मुक़ाबला संविधान के दायरे में शिक्षा, एकता और संघर्ष से करेंगे। उन्होंने मुसलमानों को भावना की बजाय विवेक से सोचने की प्रवृत्ति विकसित करने की अपील की। मुफ़ती ख़ालिद ने कहाकि हमें हिंसा का जवाब हिंसा से नहीं देना है बल्कि शिक्षा, समझ और संवैधानिक अधिकारों के बल पर अपने अधिकारों के लिए निरन्तर संघर्ष करते रहना है।

पीयूसीएल की राजस्थान प्रदेश अध्यक्ष कविता श्रीवास्तव ने कहाकि राजकीय संस्थाओं में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का कब्ज़ा हो चुका है। भारतीय संस्थाएं जैसे थाने, अदालतों का एक हिस्सा और सामाजिक न्याय की कई संवैधानिक संस्थाएं साम्प्रदायिक हो चुकी हैं। उन्होंने राजस्थान की कांग्रेस सरकार पर निकृष्टता का आरोप लगाते हुए कहाकि राज्य में अल्पसंख्यक सुरक्षित नहीं हैं क्योंकि राजस्थान में अभी तक लिंचिंग में सात लोगों की हत्याएं हो चुकी हैं और पुलिस का रवैया ठीक नहीं है। उन्होंने मंच पर महिलाओं की कम संख्या पर असंतुष्टि का इज़हार करते हुए मुसलमानों से अपील की कि महिलाओं की सभाओं में भागीदारी बढ़ाए जाने की आवश्यकता है।
ऑल इंडिया तंज़ीम उलामा ए इस्लाम के संस्थापक अध्यक्ष मुफ़्ती अशफ़ाक़ हुसैन क़ादरी ने कहाकि देश बचाओ, दस्तूर बचाओ कॉन्फ्रेंस का मुख्य मुद्दा देश और संविधान बचाना है। उन्होंने आरोप लगाया कि वर्तमान सरकार ‘ग़ैरों’ की सलाह पर चलती है, इसके दुष्परिणाम देश को भुगतने पड़ रहे हैं। उन्होंने संविधान की रक्षा के लिए मुसलमानों, दलित और ट्राइबल को एक साथ आगे आने होगा। मुफ़्ती अशफ़ाक़ ने युवाओं की शिक्षा, महिलाओं के सशक्तिकरण और रोज़गार के अवसर पैदा करने की मांग की।
शहर के स्थापित समाजसेवी हाजी रफत ने कहाकि महिलाओं की सुरक्षा को लेकर हम बहुत गंभीर है। उन्होने कहाकि मीडिया का बायकॉट की घोषणा कर सकते हैं। बेहतर है मीडिया अपने रवैये को बदले अन्यथा मीडिया यदि मुसलमानों के विरुद्ध अपना एजेंडा चलाती है तो हम भी उससे मुंह मोड़ लेंगे। इसका जवाब हम केबल कटवाने और अख़बार बंद करने से करेंगे जबकि बाकी दुनिया से जुड़े रहने के लिए हम इंटरनेट की मदद लेंगे।
दलित संगठन बामसेफ के प्रतिनिधि परमेन्दर ने कहाकि आज हम सभा में इसलिए जमा हो पा रहे हैं क्योंकि हमारे पुरखों ने इस संविधान की रक्षा की है। उन्होंने बामसेफ प्रमुख वामन मेश्राम के संदेश की व्याख्या करते हुए कहाकि देश और संविधान ख़तरे में हैं। जिन लोगों ने इस देश को ख़तरे में डाला है उन ज़ालिमों की पहचान होनी चाहिए। उन्होंने कहाकि हम इसलिए आज़ाद नहीं हुए क्योंकि हम पुलिस में आज भी अपनी एक प्राथमिकी दर्ज नहीं करवा पाते हैं। परमेन्दर ने कहाकि समस्या का अर्थ है दास होना और अगर हम परेशान हैं तो इसका तात्पर्य है हम स्वतंत्र नहीं हुए। उन्होंने कहाकि भारत की सत्ता विदेशों के हाथों में है। देश की राजधानी में संविधान जलाने वाले लोगों से इस देश को ख़तरा है। उन्होंने क़ुरआन की पवित्र आयत का हवाला देते हुए याद दिलाया कि यह पवित्र पुस्तक हमें पीड़ित के साथ खड़े होने का आदेश देता है। आदिवासियों को जंगलों से बेदख़ल किया जा रहा है, दलितों से छुआछूत किया जा रहा है और पिछड़ों का मानसिक शोषण जारी है। उन्होंने इस सामाजिक और राजनीतिक शोषण के विरुद्ध बामसेफ और भारत मुक्ति मोर्चा के आंदोलन को सफल बनाने का आह्वान किया। उन्होंने ईवीएम मशीन को राक्षस की संज्ञा दी और चुनाव को पुराने बैलेट पेपर से करवाए जाने की आवश्यकता पर बल दिया।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ हफ़ीज़ुर्रहमान ने कहाकि सत्ता का चरित्र विचारधारा पर होता है परन्तु राष्ट्र को बहुवाद पर चलाए जाने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहाकि मुसलमानों को भावना की बजाय शिक्षा और रोज़गार के मुद्दे पर गंभीरता पर विचार करना होगा। उन्होंने कहाकि जिस प्रकार महात्मा बुद्ध की विचारधारा को भारत से अधिक विदेशों में मान्यता मिली, आज यह स्थिति महात्मा गांधी के लिए बनाई जा रही है। आज सत्ता में वह तत्व आ गए हैं जो महात्मा गांधी की विचारधारा को इस देश से निकालना चाहते हैं। हम मानते हैं कि यह देश महात्मा गांधी और भीमराव अम्बेडकर की विचारधारा पर ही चल सकता है। डॉ हफ़ीज़ुर्रहमान ने मुसलमानों से अपील की कि वह शिक्षा, स्वास्थ्य और रोज़गार के अवसर पैदा करें।
राजस्थान सरकार में विशिष्ट शासन सचिव गृह पीसी बैरवाल ने कहाकि किसी भी व्यक्ति के लिए शिक्षा, रोज़गार और स्वास्थ्य के संसाधनों तक हमारी पहुँच होनी चाहिए। उन्होंने कहाकि समाज के सभी वर्गों को बैठकर अपनी समस्याओं पर विचार करना चाहिए।
विधायक रफ़ीक़ ख़ान ने कहाकि महात्मा गांधी, बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर, जवाहरलाल नेहरू और सरदार वल्लभभाई पटेल की आज़ादी के बाद अस्तित्व में आए संविधान को भारतीय जनता पार्टी की सरकार बदलने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहाकि अभी विधानसभा सत्र में वह अपने क्षेत्र के विकास के लिए कार्यशील हैं।
मुस्लिम युवा यूसुफ ख़ान ने कहाकि मानव और पशु में जैविक आवश्यकताओं के आधार पर समानता होती है लेकिन वैचारिक आधार पर ही फर्क होता है। उन्होंने राजस्थान में मुस्लिम विश्वविद्यालय की स्थापना पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहाकि देश में 25 करोड़ मुसलमान हैं और राजनीतिक स्तर पर उसे सफलता प्राप्त करने के लिए शिक्षा को अनिवार्य करना चाहिए। उन्होंने कहाकि मुसलमान बच्चों को शैक्षणिक स्तर पर पिछड़ा रखने की साज़िश की जाती है और हमें इससे निपटना आना चाहिए।
किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने कहाकि जब तक हमारे बीच रोज़गार को लेकर कार्य नहीं करेंगे हमारा संघर्ष अधूरा है। उन्होंने कृषि उपज में बिचौलियों को समाप्त करने के लिए आम जनसमुदाय को कृषि उत्पादों की निपज और विपणन को समझने पर बल दिया। उन्होंने साम्प्रदायिकता का जवाब कार्य के बल पर श्रमिक वर्ग की राजनीति से दिए जाने पर बल दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि राजनीतिक हत्याओं को सत्ताओं का संरक्षण प्राप्त होता है।
प्रोफेसर मानचंद खंडेला ने कहाकि वह जातिवाद के विरोधी हैं और वह अपने नाम के साथ जैन नहीं लिखते। खंडेला ने कहाकि हमें तक़रीर नहीं तजवीज (तरकीब) की आवश्यकता है। प्रोफेसर ने कहाकि धार्मिक सहिष्णुता, सारक्षता विस्तार, शिक्षा और सद्भाव की भावना के प्रसार की आवश्यकता है। उन्होंने धार्मिक ढोंग और प्रपंच से बचने की सलाह देते हुए आरोप लगाया कि गाय की रक्षा के नाम पर ढोंगी अपनी दुकान चला रहे हैं। आज की राजनीति नीति और कर्म की नहीं सत्ता की राजनीति है।
दलित नेता मोहनलाल बैरवाल ने कहाकि देश का संविधान ख़तरे में है और मुसलमानों और दलितों के प्रति उदानीसता ख़तरनाक स्तर पर है। उन्होंने कहाकि यह देश सभी वर्गों के योगदान से बना है और इसकी अवहेलना नहीं की जा सकती। आज भी ठाकुरों के दबाव में दलित बस्ती से बारात नहीं निकालने दी जा सकती। सार्वजनिक पानी के स्रोतों पर दलितों के साथ अमानवीय व्यवहार होता है। दलित महिलाओं के साथ थाने में रेप की घटनाएं देश में आम हो चुकी हैं। दूध के कारोबार के लिए गाय रखने वाले मुसलमानों को भाजपा-राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लोग पीट-पीटकर मार डालते हैं। यह सब संविधान की हत्या के उदाहरण हैं। हम इन चुनौतियों का मुक़ाबला एकता से ही कर सकते हैं।
समाजसेवी लतीफ आरको ने कहाकि यह हमारा देश है और हमें ही किराएदार बताने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहाकि जब बंटवारे में हम लोग पाकिस्तान नहीं गए तो चन्द कायर फासीवादी ताकतों से हम डरेंगे नहीं। उन्होंने युवाओं से अपील की कि वह मीडिया और सोशल मीडिया की राजनीति को समझें और इसके ख़िलाफ़ ख़ुद जवाब देने की बजाय क़ानूनी रास्ते अपनाए जाने की आवश्यकता है।
पत्रकार अख़लाक़ उस्मानी ने आम जनता से पूछा कि कितने लोग मानते हैं कि उनके ख़िलाफ़ मीडिया राजनीति कर रही है। उपस्थित जनसमुदाय में लगभग पूरे जनमानस ने हाथ उठाकर स्वीकार किया कि मीडिया मुसलमानों के विरुद्ध अभियान चला रहा है। उस्माानी ने इसका जवाब राजनीति से ही देने की मश्विरा दिया। उन्होंने कहाकि जो मीडिया भ्रष्ट है आप उसका ग्राहक बनने से इनकार करें। उन्होंने टेलीविज़न और अख़बार को इंटरनेट से बदलने का मश्विरा दिया और कहाकि इंटरनेट आपके ज्ञान में इज़ाफ़ा करेगा जबकि भ्रष्ट मीडिया आपको गुमराह भी कर रहा है और धन भी कमा रहा है। उन्होंने कहा जो मीडिया आपकी बात नहीं कहता, उस मीडिया का बायकॉट कर दें। यदि आपको फिर भी लगता है कि इस मीडिया की आवश्यकता है तो आप इस मीडिया को इंटरनेट पर ही पढ़ लें लेकिन मीडिया घरानों का ग्राहक बनना बन्द कर दें।
समाजसेवी और पूर्व वायुसैनिक शोएब ख़ान ने कहाकि भारत धर्मों और शांति का संगम है। उन्होंने कहाकि कुछ लोगों धर्म के आधार पर बंटवारा चाहता है। ख़ान ने बाबा साहेब के संविधान की और बच्चों की सेहत और शिक्षा पर ज़ोर दिया। उन्होंने दलितों और मुसलमानों पर हमले की तुलना देश पर हमले से की।
समाजवादी पार्टी के नेता और युवा कवि शैलेन्द्र अवस्थी शिल्पी ने इस अवसर पर एक कविता का पाठ करते हुए सामाजिक एकता पर बल दिया। उन्होंने संविधान की रक्षा पर बल देते हुए देश के लोकतंत्र की रक्षा के लिए युवाओं को आगे आने का आह्वान किया।
सिख सभा जयपुर के प्रमुख हरमीत सिंह ने कहाकि ने समाज में महिलाओं के विरुद्ध अपराध में वृद्धि बहुत हो गई है और इससे निजात का तरीका यही है कि महिलाओं की शिक्षा से ही इसका निवारण है। महिलाओं के प्रति सम्मान और समानता के भाव से ही हम समाज में तरक्की कर सकते हैं।
इस अवसर पर नागौर से पधारे शाइर इरफ़ान ज़ाहिदी, ऑल इंडिया उलेमा मशाइख़ बोर्ड के जयपुर के समन्वयक हाजी सग़ीर अहमद क़ुरैशी, कांग्रेस के नेता सलावत ख़ाँ, आदि भी मौजूद थे।
ज्ञापन में छह बिन्दु
भारत के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के नाम भेजे गए ज्ञापन में छह प्रमुख बिन्दुओं पर ज़ोर दिया गया। ज्ञापन में कहा गया कि गाय के नाम पर आम मुसलमानों, दलित और ट्राइबल की हत्या रोकने के लिए हमलावरों पर तत्काल मुक़दमा क़ायम होना चाहिए। इसमें राजस्थान में पहलू ख़ान की हत्या का ज़िक्र करते हुए पुलिस के रवैये की आलोचना की गई और दोषियों पर कार्रवाई की मांग की गई। दलितों और जनजातियों पर साज़िशन हमलों की आलोचना करते हुए भारत और राजस्थान के अनुसूचित जाति- जनजाति और अल्पसंख्यक आयोग को न्यायिक शक्तियाँ देने और मुक़दमा क़ायम करने और निर्णय देने के अधिकार की मांग की गई। इसके अलावा ज्ञापन में स्कूली और उच्च शिक्षा में संविधान के अध्ययन को अनिवार्य करने की मांग की गई। तहरीक उलामा ए हिन्द का विचार है कि संविधान के अनिवार्य अध्ययन के बाद युवाओं के राजनीतिक विचारों का शुद्धिकरण होगा और उसका अल्पसंख्यक, दलित और जनजातियों एवं महिलाओं के प्रति विचारों में संवेदनशीलता का विकास होगा। मुस्लिम विश्वविद्यालय की स्थापना, उर्दू टीचर की भर्ती और जेलों में बंद विचाराधीन ग़रीब मुस्लिम क़ैदियों की ज़मानत भरने के लिए राजस्थान सरकार कार्य करे।