
वक्त बदला के इम्तिहान बदला(lords Kind revenge in sense of Corona )
-नरेंद्र कंबोज
वक्त बदला के इम्तिहान बदला,
मेहरबानों का देखो मेहरबान बदला।
रुक गया, पर फिर भी ना इंसान बदला,
घूमता फिरता, शोर शराबा करता,
अब बंद कमरे में, देखो ये जहान बदला।
वक्त बदला के इम्तिहान बदला,
मेहरबानों का देखो मेहरबान बदला।
जरा सा उसने करतब किया,
पुराने रोग का, देखो नाम बदला।
हाय! कायनात ये तेरा रुप कैसा,
हर क्रिया में देखो आज शमशान बदला।
वक्त बदला के इम्तिहान बदला,
मेहरबानों का देखो मेहरबान बदला।
(लेखक शिक्षा मामलों के जानकार है)