Makar Sankranti : भगवान सूर्य की आराधना का है विशेष पर्व मकर संक्रान्ति

Makar Sankranti 2022 : तिलदान से कटते हैं संकट, होता है पापों का शमन

– ज्योर्तिविद् विमल जैन

भगवान् सूर्य की आराधना का विशेष पर्व मकर संक्रान्ति (Makar Sankranti) अपनी-अपनी रीति-रिवाज के अनुसार सम्पूर्ण भारतवर्ष में मनाने की धार्मिक परम्परा है।

मकर संक्रान्ति का पर्व जम्मू-कश्मीर व पंजाब में लोहड़ी के नाम से जाना जाता है जबकि दक्षिण भारत में पोंगल के नाम से प्रख्यात है।

सूर्यग्रह का धनुराशि से मकर राशि में प्रवेश होने पर यह पर्व मनाया जाता है।

प्रख्यात ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि मकर संक्रान्ति पर सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण हो जाते हैं। मकर संक्रांति का पर्व दक्षिणायन के समाप्त होने पर उत्तरायण के शुरू होने पर मनाया जाता है।

दक्षिणायन देवताओं की रात्रि तथा उत्तरायण देवताओं का दिन माना जाता है। मकर संक्रान्ति पर खरमास की समाप्ति मानी जाती है। उत्तरायण की 6 माह की अवधि उत्तम फलदायी मानी गई है। मकर संक्रान्ति के दिन तिल से बने पकवान ग्रहण करना शुभ फलदायी माना गया है।

इस दिन खिचड़ी पर्व मनाया जाता है जिसके फलस्वरूप चावल एवं काले उड़द के दाल से बनी खिचड़ी खाने व दान देने की परम्परा है।

मकर संक्रान्ति से सूर्य उत्तरी गोलार्द्ध की ओर आने शुरू हो जाते हैं। जिसके फलस्वरूप रात्रि छोटे व दिन बड़े होने लगते हैं। मौसम में भी परिवर्तन शुरू हो जाता है।

इस बार सूर्यग्रह धनु राशि से मकर राशि में 14 जनवरी, शुक्रवार को दिन में 2 बजकर 30 मिनट पर प्रवेश करेंगे। सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करने पर संक्रान्ति होती है। स्नान-दान आज के दिन ही किए जाएंगे।

मकर संक्रांति के पर्व पर प्रयाग में संगम स्नान का बड़ा महत्व है। 14 जनवरी, शुक्रवार को गंगास्नान व देव-अर्चना करने के पश्चात् अपनी सामथ्र्य के अनुसार दान-पुण्य आदि करना चाहिए। इस दिन प्रातःकाल तिल का तेल व उबटन लगाकर तिल मिश्रित जल से स्नान करना विशेष फलदायी माना गया है।

तिल का दान व इनका उपयोग करने पर समस्त पापों का शमन होता है। मकर संक्रान्ति के दिन किए गए दान से पुनर्जन्म होने पर उसका सौगुना फल प्राप्त होता है।

Makar Sankranti : पूजा का विधान

ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि मकर संक्रांन्ति के दिन भूदेव (ब्राह्मण) को तिल व गुड़ से बने व्यंजन, काले तिल, ऊनी वस्त्र, कम्बल, मिष्ठान्न एवं अन्य वस्तुएँ आदि दान देने का विधान है। अन्य वस्तुएँ दक्षिणा (नगद द्रव्य) के साथ दान करना चाहिए। दान देने से अक्षय पुण्यफल की प्राप्ति होती है।

आज के दिन भगवान शिवजी के मन्दिर में तिल व चावल अर्पित करके तिल के तेल का दीपक जलाना सुख-समृद्धिकारक माना गया है। शिवजी का घृत से अभिषेक करके बिल्वपत्र अर्पित करना पुण्य फलदायी रहता है।

आज के दिन भगवान भास्कर को अष्टदल कमल पर आवाहन करके उनकी विधि-विधानपूर्वक पूजा-अर्चना करने से सुख-समृद्धि खुशहाली मिलती है। भगवान सूर्यदेव की महिमा में श्रीआदित्य हृदय स्तोत्र, श्रीआदित्यकवच, श्रीसूर्यसहस्रनाम, श्रीसूर्य चालीसा आदि का पाठ करना चाहिए। सूर्यग्रह से सम्बन्धित मन्त्रों ‘ॐ’ आदित्याय नमरू’, ‘ॐ’ सूर्याय नमः’, ‘ॐ’ घृणि सूर्याय नमः’ का जप करना विशेष लाभकारी रहता है।

Makar Sankranti : पौराणिक मान्यता

यशोदा ने आज के दिन श्रीकृष्ण के जन्म के लिए व्रत रखा था। उसी दिन से मकर संक्रान्ति के व्रत की परम्परा शुरू हुई थी।

पुराणों के अनुसार सूर्य के मकर राशि यानि उत्तरायण में होने पर यदि व्यक्ति की मृत्यु होती है तो उसकी आत्मा मोक्ष को प्राप्त करती है। आत्मा को जन्म-मृत्यु के बन्धन से मुक्ति मिल जाती है।

महाभारत काल में अर्जुन के बाणों से घायल भीष्म पितामह ने गंगातट पर सूर्य के मकर राशि में प्रवेश का 26 दिनों तक इन्तजार किया था। इच्छा मृत्यु का वरदान मिलने के कारण मोक्ष की प्राप्ति के लिए सूर्य के उत्तरायण होने तक जीवित रहे।

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