शिवरात्रि के प्रदोषकाल में पार्थिव शिवलिंग का ऐसे करें पूजन, पंडित प्रदीप मिश्रा जी के साथ लाइव पूजन

Pandit Pradeep Mishra Live : सावन माह में आ रही शिवरात्रि पर प्रदोषकाल में पूजन के लिए पार्थिव शिवलिंग की पूजा की जाती है। इससे भोले बाबा के भक्तजन घर बैठे पूजन कर सकेंगे।
इसके लिए खासतौर पर प्रदोषकाल में पार्थिव शिवलिंग का पूजन किया जाता है। पार्थिव शिवलिंग के लिए मिट्टी से बनाया जाता है। यह मिट्ट साफ और शुद्व होनी चाहिए।
आओ जाने पंडित प्रदीप मिश्रा जी से पार्थिव शिवलिंग बनाने और इसकी पूजन सामग्री के बारे में। इनके साथ जलाभिषेक करने के लिए रात 7 बजे से 8 बजे तक लाइव पूजन कर सकतें है।

पार्थिव शिवलिंग की पूजा करने के लिए ये है पूजन सामग्री

1 लोटा जल,
गेंहू के दाने-21,
कमल गट्टे-5,
चावल साबुत-108,
काली मिर्च-21,
कालीतिल 1चुटकी,
धतूरा-1,
बेलपत्र-7,
शमी पत्र-7,
गुलाब के फुल-7,
सुपारी गोल-3,
जनेऊ-2,
देशी घी के दीपक-2,
फल-5,
मिठाई-प्रसाद,
इत्र,
पिला-चन्दन,
मोली-कलावा,
कपूर,
लोंग,इलाइची,
चावल-साबुत पूजन के लिए,

पंचामृत-दुध-दही-घी-शहद-शक्कर,गंगाजल,

पूजन करने के लिए सामान – रोली, हल्दी, मेहन्दी, अबीर, गुलाल, चावल, पान के पत्ता।

शिव लिंग बनाने की मिट्टी

पार्थिव निर्माण के लिए मिट्टी-1वैलपत्र
प्रातःकाल मीट्टी में काली मिर्च पीसी हुई
गंगाजल मिलाकर शिवलिंग निर्माण करे
1थाली में वैलपत्र के उपर पार्थिव शिवलिंग विराजमान कर देशी घी का लेपन करके करें।
पूजन के दौरान आपसे यदि भूलवश कोई सामग्री रह गई हो तो उसकी जगह चावल चढाये।

पार्थिव शिवलिंग ऐसे बनाए

पंडित प्रदीप मिश्रा ने बताया कि पार्थिव शिवलिंग को बनाने के लिए मिट्टी ला रहे हैं जिस स्थान से मिट्टी शुद्ध होना चाहिए, अर्थात मिट्टी पर किसी प्रकार की गंदगी ना करी हो। इसके बाद इस को मिट्टी घर लाने के पश्चात गंगाजल नर्मदा का जल यानी किसी भी शुद्ध नदी के जल से छिड़काव कर दें। जिस पानी से अब छिड़काव करने वाले हैं उसमें इत्र के कुछ बूंदे डाल देनी चाहिए अगर घर में इत्र न हो तो आप दूध का भी उपयोग कर सकते हैं। जिस दिन मिट्टी लाई जा रही है उसी दिन जल का छिड़काव करना आवश्यक है।

प्रातः काल में अगर आप शिवलिंग का निर्माण कर रहे हैं तो ब्रह्म मुहूर्त में उसे गला दो।

किस जल में मिट्टी को गलाना चाहिए उसका भी वर्णन शिवपुराण में हुआ है – जिस जल का आप उपयोग करने वाले हैं वह जल आपके रसोई में जहां पर पीने के पानी का मटका होता है। वहां पर एक लोटे में शुद्ध जल तथा उसके पर प्लेट ढकी हुई और प्लेट के ऊपर चावल के दाने, ऐसी स्थिति में आपका जल एक लोटे मैं कुछ समय तक होना चाहिए, मित्रा द नाम और यह गाना टाइप हो गया।

जिस भी पात्र में आप पार्थिव शिवलिंग का निर्माण करने वाले हैं उसके नीचे एक बेलपत्र रखकर ही उसका निर्माण करना है, क्योंकि बेलपत्र ही एकमात्र ऐसा माध्यम है जो कि उस भार को सहन कर पाएगा। बेलपत्र आपको सीधा रखना है तथा उसकी डंडी उत्तर दिशा की ओर रखना है और फिर उसके ऊपर पार्थिव शिवलिंग का निर्माण करना।

सर्वप्रथम आपको शिवलिंग का स्वरूप बनाना है पहले जलाधारी नहीं बनाना है स्वरूप बनने के बाद आप और मिट्टी डालकर जलाधारी बना सकते हैं।

पार्थिव शिवलिंग का अगर आपने निर्माण करा है तो वह रात्रि से पहले विसर्जन होना जरूरी है अगर शिवरात्रि का दिन हो तो आप अगले दिन विसर्जन कर सकता है।

पंडित प्रदीप जी मिश्रा ने जिस जल से हम शिवलिंगी निर्माण के लिए मिट्टी को जलाने वाले हैं वह जल रसोई में रखने के लिए इसलिए कहा गया है,

रसोई घर में 1 दिन में एक बार 33 कोटि देवी देवता प्रवेश करते हैं जिस कारण उस जल का मान बहुत अधिक हो जाता है और इसीलिए कहा जाता है कि पूरा घर स्वच्छ हो या ना हो पर रसोईघर स्वच्छ होना बहुत जरूरी है।

7 बजे से पहले पूजन की थाली तैयार करके पूजन के स्थान पर रखे स्वयं तैयार होकर ‘श्री.शिवाय.नमस्तुभ्यं.’ का जाप करे उसके पश्चात 7 बजे लाइव पूजन प्रारंभ होगा। जिसमें आप भाग लेकर पूजन कर सकेंगे।