पर्ल्स घोटाला : 29 सितंबर को होगी 611 करोड़ की संपत्तियों की नीलामी, निवेशकों को 2000 करोड़ की बिक्री की उम्मीद

PACL इन्वेस्टर्स को रिफंड मिल सकेगा, ग्रुप की 6 राज्यों के 12 जिलों की संपतियां होंगी नीलाम

नई दिल्ली। पर्ल्स इन्वेस्टर्स को रिफंड मिलने की उम्मीद एक बार फिर जगी है। इस बार उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित आर.एम.लोढ़ा समिति ने पर्ल्स ग्रुप की संपत्तियों की बिक्री के लिए ई-ऑक्शन प्रक्रिया शुरू कर दी है। नीलामी 29 सितंबर 2025 को होगी, जिसमें हरियाणा, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और केरल के आठ जिलों की कुल 611 करोड़ रुपये की संपत्तियां बेची जाएंगी।

इससे पहले छह राज्यों के 12 जिलों की संपत्तियों की नीलामी में लगभग 700 करोड़ रुपये की बिक्री हुई थी। उस चरण में सोनीपत की संपत्ति 567 करोड़, सिरसा की 35.69 करोड़, नूंह की 23 करोड़ और अंबाला की 21 करोड़ रुपये में बिकी थी।

पर्ल्स की नीलाम होने वाली प्रॉपर्टी का तय मूल्य

पानीपत (हरियाणा): ₹132 करोड़

पंचकूला (हरियाणा): ₹449 करोड़

गुंटूर (आंध्र प्रदेश): ₹13 करोड़

कृष्णा (आंध्र प्रदेश): ₹2.33 करोड़

कडप्पा (आंध्र प्रदेश): ₹2.34 करोड़

दक्षिण कन्नड़ (कर्नाटक): ₹50 लाख

चामराजनगर (कर्नाटक): ₹88 लाख

एर्नाकुलम (केरल): ₹10 करोड़

पर्ल्स इन्वेस्टर्स वेलफेयर ट्रस्ट के प्रधान मनदीप काजला ने बताया कि इस बार की नीलामी से 2000 करोड़ रुपये तक की बिक्री होने की संभावना है, जिससे निवेशकों को बड़ी राहत मिल सकती है।

देश के सबसे बड़े निवेश घोटालों में से एक

पर्ल्स कंपनी का घोटाला देश के सबसे बड़े निवेश घोटालों में गिना जाता है। इसमें करीब 5 करोड़ निवेशकों के 50 हजार करोड़ रुपये फंसे थे। 1990 के दशक में कंपनी ने खुद को रियल एस्टेट और कृषि भूमि विकास से जुड़ी बताकर लोगों को सात साल में पैसा दोगुना करने का लालच दिया।

असल में यह एक पोंजी स्कीम थी, जिसमें नए निवेशकों के पैसे से पुराने निवेशकों को भुगतान किया जाता था। 2014 में सेबी ने पीएसीएल पर अवैध सामूहिक निवेश योजना चलाने का आरोप लगाया और कंपनी को निवेशकों का पैसा लौटाने का आदेश दिया।

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर पूर्व मुख्य न्यायाधीश आर.एम.लोढ़ा की अध्यक्षता में समिति बनाई गई, जो चरणबद्ध तरीके से निवेशकों को रिफंड प्रक्रिया चला रही है। हालांकि, सभी निवेशकों को पूरा पैसा लौटाना अब भी चुनौती बना हुआ है, लेकिन इस नीलामी से निवेशकों की उम्मीदें एक बार फिर बढ़ गई हैं।