राजस्थान को जैविक व विशेष राज्य का दर्जा मिले, ओएफपीएआई ने उपराष्ट्रपति को सौंपा प्रस्ताव

जयपुर। राजस्थान (Rajasthan) को जैविक (organic) व विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर भारतीय जैविक किसान उत्पादक संघ (OFPAI) (ओएफपीएआई) के एक शिष्टमंडल ने (Vice President) उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) को प्रस्ताव दिया है।

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संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अतुल गुप्ता के नेतृत्व में शिष्टमंडल ने उप राष्ट्रपति को दिए ज्ञापन में राजस्थान की भौगोलिक स्थिति के आधार पर जैविक प्रदेश बनाने की संभांवनाओं से अवगत कराया। संगठन ने रासायनिक खेती के दुष्प्रभावों से अवगत कराते हुए जगदीश धनखड़ को बताया कि यदि सरकार राजस्थान को जैविक प्रदेश बनाने के लिए विशेष राज्य का दर्जा देकर केंद्रीय बजट में विशेष पैकेज दिया जाए और उस पर चरणबद्ध तरीके से कार्य करे तो 2030 तक राजस्थान को संपूर्ण जैविक प्रदेश बनाया जाना संभंव है।

डॉ. अतुल गुप्ता ने उप राष्ट्रपति को दिए ज्ञापन में कहा कि मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बचाने के लिये जैविक खाद व कीटनाशकों के इस्तेमाल को बढाना होगा। इसके लिए जैविक खाद व कीटनाशकों के निर्माण में लगी इकाईयों सब्सिडी व अन्य माध्यमों से मजबूत बनाया जाए।

इससे जैव खाद उद्योग को तो बढ़ावा मिलेगा ही, साथ ही पर्यावरण और भोजन, दोनों की सुरक्षा में बड़ा योगदान होगा। जैविक खाद उद्योग में बड़े स्तर पर रोजगार के अवसर पैदा होंगे ।

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कृषि को मिले उद्योग का दर्जा

डॉ. अतुल गुप्ता ने कहा की संपूर्ण ग्रामीण विकास के लिए कृषि को एमएसएमई में शामिल कर उसे उद्योग का दर्जा दिया जाए, ताकि गांवों में कृषि आधारित औद्योगिक इकाईयां स्थापित कर गांव से पलायन को रोका जा सके।

उन्होंने कहा कि किसानों की आर्थिक दशा और दिशा बदलने के लिए नवाचारी किसानों को उनके उत्पादों के निर्यात हेतु लाइसेंस दिए जाएं। साथ ही राजस्थान प्रदेश के किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त करने के लिए कृषि उद्योग आयोग भी गठित किया जाए।

जैविक खाद, कम्पोस्ट खाद के लिए मिले प्रोत्साहन

जैविक खाद व कम्पोस्ट खाद के लिए जरूरी है प्रदेश में गौवंश की दुर्दशा में व्यापक स्तर पर सुधार कर पशुपालन व्यवसाय को बढ़ावा मिले। यह बात भी सत्य है कि दुग्ध उत्पादन में राजस्थान देश के अग्रणी राज्यों में है, लेकिन गौमाता के गोबर व गोमूत्र से निर्मित होने वाली जैविक व कम्पोस्ट खाद को बनाने व बेचने के लिए पशुपालकों का रूझान कम है।

यदि सरकार जैविक खाद व कम्पोस्ट खाद का निर्माण करने वाले किसानों/पशुपालकों को प्रोत्साहित करे तो इससे न केवल उनकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होगी बल्कि उनके द्वारा जैविक खेती के जरिए उत्पादित किए गए ऑर्गेनिक फल-सब्जियां, दालें, खाद्यान आमजन को सस्ते सुलभ होंगे। ऐसे में कीटनाशक खाद्य पदार्थों का उपभोग कर गंभीर बीमारियों से ग्रसित होने वाले रोगियों के उपचार पर होने वाले भारी भरकम खर्च से भी बचा जा सकेगा ।

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जैविक आदानों की हो उत्तम व्यवस्था

जिस प्रकार रासायनिक खेती को बढ़ावा देने के लिए 60 व 70 के दशक में उर्वरकों के कारखाने लगाए गए और गाँव-गाँव तक पहुंचाने के लिए किसान सहकारी समितियाँ बनाई गई, राष्ट्रीय स्तर पर इफको, कृभकों जैसी संस्थाएँ बनाई गई, ठीक उसी प्रकार के प्रयास आज जैविक खेती के उत्थान के लिए आवश्यक हैं।

आज किसान जैविक अपनाने को तैयार हैं किन्तु उसे अच्छी गुणवत्ता वाली खाद, जीवाणु खाद, जैविक कीटनाशक ग्राम स्तर पर उपलब्ध नहीं है| फसलों की ऐसी किस्में उपलब्ध नहीं है, जो जैविक खाद से अच्छा उत्पादन ले सकें। इसके लिए
1. प्रत्येक गाँव या तहसील स्तर पर अच्छी गुणवत्ता वाली जीवाणु खाद व जैविक कीटनाशकों की उपलब्धता बढ़ाने के लिए सहकारी तंत्र मजबूत किया जाए|
2. रासायनिक खेती से जैविक खेती में बदलने के परिवर्तन काल में (2-3 वर्ष) कृषक को जैविक तकनीकों की सम्पूर्ण ज्ञान व आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने का प्रावधान हो|

जैविक खेती के आदानों पर मिले सब्सिडी (अनुदान)

रासायनिक उर्वरकों पर प्रतिवर्ष 16 अरब रूपये (160 बिलियन) की सब्सिडी दी जाती है| इसके अलावा कीटनाशक, ट्रैक्टर आदि की सब्सिडी मिलकर खरबों रूपये रासायनिक खेती के आदानों की सब्सिडी पर खर्च हो रहा है| इसी प्रकार जैविक खेती के लिए भी सब्सिडी दी जाए |

जैविक उत्पादों की विक्रय व्यवस्था

जैविक उत्पादों के प्रमाणीकरण पर काफी लागत आती है और बिना प्रमाणीकरण के उपभोक्ता जैविक उत्पाद होने का विश्वास भी नहीं कर पाता है। अत: जैविक उत्पादों की विक्रय को सुनिश्चित करने के लिए सहकारी विपणन व्यवस्था व भारतीय खाद्य निगम से जैविक खाद्यान्न खरीदने के लिए विशेष प्रावधान होने चाहिए।

इस दौरान जयपुर के जेपीआईएस स्कूल के 13 वर्षीय छात्र श्रेष्ठ मंगल ने 1000 स्टूडेंटस के हस्ताक्षरयुक्त ज्ञापन भी दिया जिसमें उन्होंने प्रदेश में 100 प्रतिशत जैविक फूड व स्वच्छ वायु युक्त वातावरण उपलब्ध करवाने के लिए राजस्थान को जैविक प्रदेश बनाने की मांग की।

प्रतिनिधि मंडल में हैनिमैन चेरिटेल मिशन सोसाइटी की सचिव मोनिका गुप्ता, भारतीय जैविक महिला किसान उत्पादक संघ की राष्ट्रीय अध्यक्ष संगीता गौड़, सामाजिक कार्यकर्ता शिखा मंगल व राष्ट्रीय कृषि पत्रिका मैं हूं किसान के न्यूज एडिटर गुरजंट सिंह धालीवाल भी शामिल थे।

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