नई दिल्ली, 29 अक्टूबर 2025।
केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनधारकों के लिए बड़ी खुशखबरी आई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में 8वें केंद्रीय वेतन आयोग (8th Central Pay Commission) के Terms of Reference (ToR) को मंजूरी दे दी गई है।
इस फैसले से देशभर के करीब 50 लाख सरकारी कर्मचारी और 69 लाख पेंशनभोगी प्रभावित होंगे।
💼 8वां वेतन आयोग: कब बना और क्या करेगा काम
सरकार ने जनवरी 2025 में 8वें वेतन आयोग के गठन की घोषणा की थी,
जिसका उद्देश्य केंद्र सरकार के कर्मचारियों के वेतन, भत्ते और पेंशन लाभों की समीक्षा करना है।
अब कैबिनेट की मंजूरी के बाद यह आयोग औपचारिक रूप से काम शुरू करेगा।
यह आयोग एक अस्थायी निकाय (Temporary Commission) होगा,
जिसमें –
- एक चेयरपर्सन,
- एक पार्ट-टाइम सदस्य, और
- एक सदस्य-सचिव (Member Secretary) होंगे।
⚖️ कौन संभालेगा जिम्मेदारी
- आयोग की अध्यक्षता पूर्व सुप्रीम कोर्ट न्यायमूर्ति रंजन प्रकाश देसाई करेंगी।
- आईआईएम बेंगलुरु के प्रोफेसर पुलक घोष को पार्ट-टाइम सदस्य बनाया गया है।
- पेट्रोलियम सचिव पंकज जैन को आयोग का सदस्य-सचिव नियुक्त किया गया है।
आयोग को अपनी रिपोर्ट 18 महीनों के भीतर सौंपनी होगी।
यदि आवश्यक हुआ तो यह अंतरिम रिपोर्ट (Interim Report) भी दे सकता है।
📅 कब से लागू होंगे नए वेतनमान?
सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि
“8वें वेतन आयोग की सिफारिशें जब अंतरिम रिपोर्ट के रूप में आएंगी,
उसके बाद सरकार लागू करने की तारीख तय करेगी।
फिलहाल संभावना है कि यह 1 जनवरी 2026 से प्रभावी होंगी।”
कैबिनेट द्वारा स्वीकृत Terms of Reference (ToR) के अनुसार आयोग निम्न प्रमुख बिंदुओं पर काम करेगा —
1️⃣ देश की आर्थिक स्थिति और वित्तीय अनुशासन (Fiscal Prudence) की आवश्यकता।
2️⃣ विकास कार्यों और कल्याणकारी योजनाओं के लिए संसाधनों की उपलब्धता।
3️⃣ बिना अंशदान वाली पेंशन योजनाओं का वित्तीय बोझ।
4️⃣ राज्यों की वित्तीय स्थिति पर आयोग की सिफारिशों का प्रभाव।
5️⃣ केंद्रीय उपक्रमों और निजी क्षेत्र में कार्यरत कर्मचारियों की वेतन संरचना से तुलना।
📘 Terms of Reference (ToR) क्या होता है?
ToR यानी शर्तों का संदर्भ दस्तावेज (Framework Document) —
यह किसी भी वेतन आयोग की कार्यप्रणाली तय करता है।
इसमें आयोग के कार्यक्षेत्र, दिशानिर्देश और सिफारिशों की सीमाएं निर्धारित की जाती हैं।
ToR का मसौदा वित्त मंत्रालय की संयुक्त परामर्श समिति (Joint Consultative Machinery – JCM) तैयार करती है,
जिसे बाद में कैबिनेट समिति से अंतिम मंजूरी मिलती है।
📈 वेतन आयोग क्यों जरूरी है
केंद्रीय वेतन आयोग हर 10 वर्ष में गठित किया जाता है ताकि सरकारी कर्मचारियों के वेतन और पेंशन को महंगाई दर और जीवन-यापन लागत (Cost of Living) के अनुसार संशोधित किया जा सके।
- 7वां वेतन आयोग फरवरी 2014 में बना था और 1 जनवरी 2016 से लागू हुआ।
- अब 8वां वेतन आयोग इसी पैटर्न पर 1 जनवरी 2026 से प्रभावी होगा।
केंद्रीय कर्मचारियों को फिलहाल महंगाई भत्ता (DA) हर छह महीने में संशोधित दरों के अनुसार दिया जाता है,
जिसका सीधा संबंध मुद्रास्फीति (Inflation) से होता है।
🎯 कर्मचारियों और पेंशनधारकों के लिए इसका मतलब
8वें वेतन आयोग की सिफारिशों के लागू होने पर –
- केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन में 20% से 30% तक बढ़ोतरी संभव है।
- पेंशनधारकों को भी नए फॉर्मूले के तहत अधिक पेंशन मिलेगी।
- कई भत्तों और भरण-पोषण योजनाओं की संरचना में बदलाव हो सकता है।
