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🕯️ दीपावली पर काली पूजन का विशेष महत्व: महानिशीथ काल में भगवती माँ काली की साधना से मिलती है असीम ऊर्जा और सिद्धि

On: October 16, 2025 12:05 PM
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दीपावली का पर्व न केवल धन और लक्ष्मी की आराधना का प्रतीक है, बल्कि इस दिन भगवती महाकाली की पूजा का भी विशेष महत्व है। प्रख्यात ज्योतिर्विद्, हस्तरेखा विशेषज्ञ और वास्तुविद् विमल जैन के अनुसार, कार्तिक मास की कृष्ण अमावस्या की रात, जिसे महानिशा कहा जाता है, में माँ काली की उपासना करने से जीवन के समस्त संकटों और ग्रहदोषों से मुक्ति मिलती है।

🗓️ काली पूजा का शुभ मुहूर्त

इस वर्ष दीपावली 20 अक्टूबर (सोमवार) को मनाई जाएगी।

  • अमावस्या तिथि: 20 अक्टूबर दोपहर 3:46 बजे से 21 अक्टूबर शाम 5:55 बजे तक
  • हस्त नक्षत्र: 19 अक्टूबर शाम 5:50 बजे से 20 अक्टूबर रात 9:17 बजे तक
  • महानिशीथ काल: 20 अक्टूबर की रात 11:45 बजे से 12:39 बजे तक

इसी काल में की गई माँ काली की साधना और पूजन शीघ्र फलदायी मानी जाती है।

🕉️ काली पूजा क्यों है विशेष

विमल जैन बताते हैं कि दीपावली की रात जहाँ श्रीगणेश और लक्ष्मीजी की पूजा का विधान है, वहीं महाकाली, महासरस्वती और कुबेरजी की आराधना भी अत्यंत फलदायी होती है।
माँ काली की कृपा से –

  • ग्रहदोषों से मुक्ति मिलती है,
  • नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है,
  • और साधक के भीतर आध्यात्मिक शक्ति और आत्मविश्वास का संचार होता है।

🔯 माँ काली के शक्तिशाली बीज मंत्र

माँ काली के इन बीज मंत्रों के जप से साधक को असीम ऊर्जा और मनोकामना सिद्धि प्राप्त होती है —
1️⃣ क्रीं
2️⃣ क्रीं क्रीं
3️⃣ क्रीं क्रीं क्रीं
4️⃣ क्रीं स्वाहा
5️⃣ ह्रीं

समस्त मनोरथ पूर्ति के लिए सबसे प्रभावी मंत्र है —
👉 “ऐं नमः क्रीं क्रीं कालिकायै स्वाहा” (11 अक्षर का सिद्ध मंत्र)

📜 काली स्तुति और आरती का महत्व

माँ काली की पूजा के बाद काली हृदय स्तोत्रम्, काली स्तुति, श्री कालिका कीलक, काली अर्गला स्तोत्र, काली चालीसा और काली आरती का पाठ किया जाता है।
इनसे साधक के मन में एकाग्रता, आत्मबल और आध्यात्मिक उन्नति आती है।

स्तुति:

काली काली महाकाली कालिके परमेश्वरी।
सर्वानन्दकरे देवि नारायणि नमो:स्तुते।।
ॐ कालिका घोररूपा सर्वकामप्रदा शुभा।
सर्वदेवस्तुता देवी शत्रुनाशं करोतु मे।।

🌺 पूजन विधि

  • पूजन के लिए स्वच्छता, एकाग्रता और संयम आवश्यक है।
  • माँ काली के आगे लाल फूल, सरसों का तेल, सिंदूर और दीप अर्पित करें।
  • महानिशा काल में “क्रीं क्रीं क्रीं स्वाहा” मंत्र से 108 बार जप करें।
  • अंत में क्षमा प्रार्थना और आरती करें।

📍 विशेषज्ञ जानकारी

ज्योतिर्विद् विमल जैन, हस्तरेखा विशेषज्ञ, रत्न परामर्शदाता एवं वास्तुविद् 📞 मो. : 9335414722
🏢 एस. 2/1-76 ए, द्वितीय तल, वरदान भवन, टैगोर टाउन एक्सटेंशन, भोजूबीर, वाराणसी-221002

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