जयपुर ​की शिल्पकार प्रदर्शनी में दिखा राजस्थान की कला का जादू

जयपुर। राजस्थान की लुप्त होती पारंपरिक कला शैलियों को पुनर्जीवित और प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से आयोजित तीन दिवसीय प्रदर्शनी “शिल्पकार – ए ग्रुप ऑफ मास्टर आर्टिज़न्स” जयपुर के जेएलएन मार्ग स्थित जवाहर कला केंद्र (जे.के.के.) की सुखृति गैलरी में दर्शकों को अपनी अनूठी कलाकृतियों से मंत्रमुग्ध कर रही है। यह प्रदर्शनी प्राचीन परंपराओं की आत्मा को संजोते हुए आधुनिक भारत की रचनात्मकता और नवाचार का अद्भुत संगम प्रस्तुत कर रही है।

इसी कड़ी में जयपुर की प्रसिद्ध ब्लू पॉटरी ने अपनी नाजुकता और नवीनता से दर्शकों को चकित किया। क्वार्ट्ज पाउडर से बनी इस कला का मूल पदार्थ बिल्कुल बाजरे के आटे की तरह बारीक होता है, जिससे इसे तैयार करना और उस पर चित्रकारी करना बेहद जटिल है।

परंपरागत रूप से ब्लू पॉटरी में मोटे फूल-पत्तों और ज्योमैट्रिकल डिज़ाइन बनाए जाते रहे हैं, लेकिन इस प्रदर्शनी में शिल्पगुरु गोपाल सैनी ने इसमें मिनिएचर पेंटिंग को शामिल कर एक साहसिक प्रयोग किया है। प्रकृति से प्रेरित होकर उन्होंने पशु-पक्षी, वृक्ष, कमल और अजंता के अलंकरण को जीवंत रूप देने का प्रयास किया है। यह नवाचार ब्लू पॉटरी को नई दिशा प्रदान कर रहा है और इस पारंपरिक कला को समकालीन सौंदर्यबोध के साथ जोड़ने का अद्भुत प्रयास है।

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The magic of Rajasthan art was on display at Jaipur craftsman exhibition

कलाकार मुकेश मीनाकर की बनाई मीनाकारी तबला जोड़ी ने भी सभी का ध्यान खींचा। चाँदी पर बारीक नक्काशी और रंगीन मीनाकारी से सजी इस कलाकृति को कलाकार ने आठ खंडों में विभाजित किया है। इनमें चार काले-सफेद खंड कठिन समय का प्रतीक हैं, जबकि चार रंगीन खंड खुशहाली और अच्छे समय को दर्शाते हैं। दर्शकों ने इसे जीवन के उतार-चढ़ाव का अद्भुत कलात्मक रूप बताया।

पारंपरिक फड़ चित्रकारी ने भी दर्शकों का दिल जीता। इस शैली में चित्रों के माध्यम से कहानियाँ जीवंत होती हैं। पहले जहाँ फड़ चित्रों में राजस्थान के लोक नायकों की गाथाएँ उकेरी जाती थीं, वहीं अब समय के साथ रामायण, महाभारत, भगवद्गीता और ऐतिहासिक प्रसंगों को भी इसमें शामिल किया जा रहा है।

प्रदर्शनी में कलाकार प्रकाश जोशी ने जीवनदायिनी और मोक्षदायिनी देव नदी गंगा को स्वर्णिम आभा में अलंकृत किया है। उनकी कृति में गंगा को हिमालय से भागीरथी के रूप में अवतरित होते, अलकनंदा और मंदाकिनी के संगम से धरती पर प्रवाहित होते हुए चित्रित किया गया है। बैकग्राउंड में देवनागरी लिपि में अंकित गंगा स्तुति इस रचना को और भी आकर्षक बनाती है।

प्रदर्शनी में मंगल कलश एक विशेष आकर्षण का केंद्र बन रहा है जो कुम्भकारों की यह सर्वप्रथम कलाकृति न केवल हिंदू धर्म में कलश के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को दर्शाती है, बल्कि इसे आधुनिक स्वरूप भी प्रदान करती है।

कलाकार ईश्वर सिंह द्वारा निर्मित यह कलश रामगढ़ की प्रसिद्ध जालीदार कारीगरी से सजा हुआ है और एक खूबसूरत लैंप के रूप में भी देखा जा सकता है, जो परंपरा और नवाचार के सुंदर मेल को दर्शाता है। आज प्रदर्शनी में आने वाले गणमान्य अतिथियों में जयपुर ग्रेटर मेयर सौम्या गुर्जर, ओबीसी मोर्चा जयपुर जिला अध्यक्ष चेतन कुमावत, इनफ्लुएंसर धोली मीणा, क्राफ्ट काउंसिल ऑफ वीवर्स एंड आर्टीजन्स के डायरेक्टर बृज बल्लभ और विनोद जोशी शामिल रहे, उन्होंने कलाकारों की प्रतिभा और उनके नवाचार की सराहना की।

शिल्पकार प्रदर्शनी राजस्थान की समृद्ध कला विरासत और आधुनिक सृजनशीलता का ऐसा मंच बन गई है, जो परंपरा को नई पीढ़ी तक पहुँचाने के साथ उसे भविष्य की नई उड़ान भी देता है।