जयपुर, 16 नवंबर। “सनातन विचार कभी नहीं बदलता, वही एकात्म मानव दर्शन का वास्तविक आधार है।” यह संदेश राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने आज जयपुर में आयोजित दीनदयाल स्मृति व्याख्यान में दिया।
कार्यक्रम का आयोजन एकात्म मानवदर्शन अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान की ओर से किया गया था।
डॉ. भागवत ने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने सनातन विचार को समय और परिस्थिति के अनुरूप एकात्म मानव दर्शन के रूप में प्रस्तुत किया था। उन्होंने स्पष्ट कहा कि इस दर्शन का सार केवल एक शब्द में समझा जा सकता है — “धर्म”, लेकिन इसका अर्थ किसी पंथ या मज़हब से नहीं, बल्कि “सबको धारणा करने वाले सिद्धांत” से है।

भारतीयता का चिंतन दुनिया में अद्वितीय — भागवत
उन्होंने कहा कि भारतीय समाज ने जब भी विश्व में कदम रखा, उसने न किसी को लूटा और न ही किसी पर अत्याचार किया। भारतीय संस्कृति में सुख का स्रोत बाहरी नहीं, बल्कि आंतरिक माना गया है।
उनके अनुसार—
“जब भीतर का सुख दिखाई देता है, तब समझ आता है कि पूरा विश्व एकात्म है।”
परिवार व्यवस्था से मजबूत है भारत का अर्थतंत्र
भागवत ने कहा कि भारत में आर्थिक संकटों का प्रभाव कम इसलिए पड़ता है क्योंकि यहां की मजबूत परिवार व्यवस्था अर्थव्यवस्था की असली नींव है।
उन्होंने कहा कि विज्ञान की प्रगति ने जीवन को सुविधाजनक बनाया है, लेकिन मनुष्य का मानसिक संतोष और स्वास्थ्य पहले की तुलना में बेहतर नहीं हुआ।
विविधता हमारे यहाँ संघर्ष नहीं, उत्सव है
दुनिया में जहाँ भेदभाव और संसाधनों पर पकड़ को लेकर तनाव बढ़ रहा है, वहीं भारत ने विविधता को हमेशा उत्सव की तरह स्वीकार किया। उन्होंने कहा—
“हमारे यहाँ अनेक देवी-देवताओं की उपस्थिति कभी समस्या नहीं बनी, बल्कि सांस्कृतिक समृद्धि का कारण रही।”

कार्यक्रम में कई गणमान्य व्यक्तियों की मौजूदगी
कार्यक्रम की प्रस्तावना प्रतिष्ठान अध्यक्ष डॉ. महेश शर्मा ने रखी। उन्होंने ब्रह्मांड की एकात्मता और ‘वंदे मातरम्’ के 150 वर्ष की संदर्भ में विचार साझा किए।
समारोह में उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी, उपमुख्यमंत्री डॉ. प्रेमचंद बेरवा, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़, मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा, सांसद घनश्याम तिवाड़ी, तथा संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. नर्बदा इंदौरिया ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन डॉ. एस. एस. अग्रवाल द्वारा दिया गया।









