बीकानेर, 29 अक्टूबर 2025। बीकानेर जिले के छत्तरगढ़ क्षेत्र के संसारदेसर गांव में किसानों ने फर्जी गिरदावरी का मामला उठाते हुए निष्पक्ष जांच की मांग की है।
किसानों का आरोप है कि खेतों में जहां ग्वार और बाजरा की फसल खड़ी है, वहां ऑनलाइन गिरदावरी (Record Entry) में मूंगफली की फसल दर्ज कर दी गई है, जिससे सरकार को समर्थन मूल्य पर गलत खरीद के माध्यम से नुकसान पहुंचाया जा रहा है।
⚠️ ग्वार के खेतों में दर्ज मूंगफली – किसानों ने जताई नाराजगी
किसानों ने बताया कि गिरदावरी रिकॉर्ड में हेरफेर कर गलत फसल दर्ज की जा रही है ताकि सरकारी खरीद केंद्रों पर मूंगफली के टोकन काटकर फर्जी मुनाफाखोरी की जा सके। यह स्थिति उन वास्तविक किसानों के लिए अन्यायपूर्ण है जिन्होंने सचमुच मूंगफली बोई है और अब उन्हें समर्थन मूल्य (MSP) पर बेचने के टोकन नहीं मिल पा रहे।

📋 संसारदेसर की फर्जी गिरदावरी के उदाहरण
1️⃣ किसान इंद्राज पुत्र चूनाराम जाट (चक 1 KWM, मुरबा 176/4)
- ऑनलाइन गिरदावरी में मूंगफली दर्ज।
- मौके पर ग्वार की फसल मिली।
2️⃣ किसान चूनाराम पुत्र पेमाराम जाट (मुरबा 156/63)
- गिरदावरी में मूंगफली दिखाई गई।
- मौके पर किला नंबर 14 में बाजरा और बाकी खेतों में ग्वार की फसल पाई गई।

🧾 प्रशासन को सौंपी शिकायत
किसानों ने इस पूरे प्रकरण की शिकायत उपखंड अधिकारी छत्तरगढ़ और तहसीलदार छत्तरगढ़ को ज्ञापन के माध्यम से दी है। ज्ञापन के साथ फोटो सबूत भी नत्थी किए गए हैं। किसान संगठनों ने मांग की है कि इस गिरदावरी घोटाले में शामिल सरकारी कारिंदों की जांच कर कार्रवाई की जाए।
🧑🌾 किसान नेताओं की मांग
किसान संघ और स्थानीय संगठनों ने इस मुद्दे पर एकजुट होकर निष्पक्ष जांच की मांग की है। ज्ञापन सौंपने वालों में रामावतार शर्मा (किसान संघ), हरीकिशन जोशी (छत्तरगढ़ सोसायटी चेयरमैन), नंदकिशोर सुथार (सत्तासर), देवीलाल बिश्नोई, मोहनलाल सियाग, कुलदीप बेनीवाल, एडवोकेट विमल पारीक और सुरेंद्र शर्मा शामिल रहे।
👁️🗨️ प्रशासनिक जांच जारी
सूत्रों के अनुसार, उपखंड अधिकारी छत्तरगढ़ ने पटवारी टीम के साथ मौके पर जाकर जांच की है। हालांकि, अभी तक किसी के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई है। किसानों का कहना है कि यह केवल एक गांव का मामला नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र में फर्जी गिरदावरी का नेटवर्क फैला हुआ है।
🚜 क्यों महत्वपूर्ण है गिरदावरी?
राजस्थान में गिरदावरी रिपोर्ट (Crop Survey Report) ही यह तय करती है कि कौन-सी फसल बोई गई और कौन-सी फसल सरकार द्वारा समर्थन मूल्य पर खरीदी जाएगी। यदि यह रिपोर्ट गलत बनाई जाए, तो वास्तविक किसान हानि उठाते हैं और फर्जीवाड़ा करने वाले लाभ उठा लेते हैं।
