गुरु नानक देव जी का जन्मदिन सिख समुदाय के सबसे पवित्र पर्वों में से एक गुरु नानक जयंती या गुरुपर्व के रूप में मनाया जाता है।
यह दिन सिख धर्म के संस्थापक और पहले गुरु गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं को याद करने और उनके उपदेशों को जीवन में अपनाने का अवसर प्रदान करता है।
📅 कब है गुरु नानक जयंती 2025
पंचांग के अनुसार, गुरु नानक जयंती हर वर्ष कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। वर्ष 2025 में यह पर्व 5 नवंबर (बुधवार) को मनाया जाएगा।
इस वर्ष गुरु नानक देव जी की 556वीं जयंती मनाई जाएगी।
पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ: 4 नवंबर, रात 10:36 बजे
पूर्णिमा तिथि का समापन: 5 नवंबर, शाम 6:48 बजे
🕊️ गुरु नानक जयंती का महत्व और इतिहास
गुरुपर्व सिर्फ गुरु नानक देव जी के जन्मदिन का उत्सव नहीं है, बल्कि यह समानता, सत्य, निःस्वार्थ सेवा और मानवता के संदेश का प्रतीक है।
गुरु नानक देव जी ने समाज को यह सिखाया कि
“ईश्वर एक है, वह सबका है, सबमें है।”
पर्व से दो दिन पूर्व अखंड पाठ का आयोजन किया जाता है, जो लगातार 48 घंटे तक चलता है। इस दौरान गुरु ग्रंथ साहिब के पवित्र शब्दों की गूंज से पूरा गुरुद्वारा प्रांगण भक्तिमय हो उठता है।
पर्व से एक दिन पहले नगर कीर्तन निकाला जाता है, जहां श्रद्धालु झांकियां सजाते हैं, कीर्तन करते हैं और गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं का प्रचार करते हैं।
🌅 प्रभात फेरी और लंगर का महत्व
गुरुपर्व की सुबह प्रभात फेरी के रूप में भक्तजन नगर भ्रमण करते हैं,
जहां वे “सत नाम वाहेगुरु” का जाप करते हुए अरदास करते हैं।
दिनभर लंगर सेवा चलती है
जहां हर धर्म, जाति और वर्ग के लोग एक साथ बैठकर भोजन करते हैं।
🍲 लंगर परंपरा की शुरुआत
लंगर की परंपरा गुरु नानक देव जी ने 15वीं सदी में शुरू की थी,
जब समाज में ऊंच-नीच और भेदभाव चरम पर था।
उन्होंने सबको एक साथ बैठकर भोजन करने का संदेश दिया –
“सब एक समान हैं, सेवा ही सच्चा धर्म है।”
आज भी दुनिया भर के गुरुद्वारों में रोज़ाना हज़ारों लोगों को मुफ्त लंगर कराया जाता है,
जो समानता, प्रेम और एकता का प्रतीक है।
💬 गुरु नानक देव जी की 10 अनमोल सीख
- एक ओंकार: ईश्वर एक है और सबमें वास करता है।
- सेवा भाव: निःस्वार्थ सेवा ही सच्ची पूजा है।
- किरत करो: ईमानदारी से मेहनत करो।
- नाम जपो: सच्चे नाम का ध्यान करो।
- वंड छको: जो कुछ मिले, दूसरों के साथ बांटो।
- समानता: सभी मनुष्य बराबर हैं, कोई बड़ा-छोटा नहीं।
- अहंकार त्यागो: विनम्रता सबसे बड़ा गुण है।
- स्त्री सम्मान: स्त्रियां सृष्टि की जननी हैं, उनका सम्मान करो।
- सादगी: सरल जीवन, उच्च विचार अपनाओ।
- शांति: दूसरों को कष्ट न पहुंचाओ, करुणा रखो।
