जयपुर, 15 अक्टूबर।
राजस्थान में भ्रष्टाचार से जुड़ा एक बड़ा मामला सामने आया है। जयपुर हेरिटेज नगर निगम की पूर्व मेयर मुनेश गुर्जर न्यायिक जांच में भ्रष्टाचार के आरोपों में दोषी पाई गई हैं। यह जांच राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश पर राज्य सरकार द्वारा करवाई गई थी।
विधि विभाग के विशिष्ट शासन सचिव (विधि रचना) सुरेंद्र पुरोहित ने इस मामले की विस्तृत जांच की और अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी है। रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया गया है कि मुनेश गुर्जर के खिलाफ लगाए गए तीनों आरोप सत्य पाए गए हैं।
🧾 जांच में क्या निकला सामने
न्यायिक जांच के दौरान मुनेश गुर्जर और उनके अधिवक्ता स्वयं उपस्थित हुए। सरकार की ओर से विभागीय अधिवक्ता विष्णु दयाल शर्मा ने पैरवी की।
जांच रिपोर्ट के अनुसार –
- मुनेश गुर्जर ने पट्टों पर हस्ताक्षर करने के बदले पैसों की मांग की थी।
- बिना धनराशि लिए कोई दस्तावेज साइन नहीं करने की बात भी जांच में साबित हुई।
- जांच टीम ने पाया कि यह व्यवहार भ्रष्टाचार निवारण कानून के दायरे में आता है।
💰 41 लाख रुपए बरामद, कोई संतोषजनक जवाब नहीं
जांच के दौरान मुनेश गुर्जर के निवास से 41 लाख रुपए नकद बरामद किए गए थे।
रिपोर्ट के मुताबिक, वे इस राशि के स्रोत या उपयोग का कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे सकीं।
साथ ही, इस प्रकरण में दो बिचौलिए – अनिल दुबे और नारायण सिंह के नाम भी सामने आए हैं। जांच रिपोर्ट में दोनों को प्रकरण में प्रत्यक्ष रूप से लिप्त बताया गया है।
⚖️ अब आगे क्या
विधि विभाग ने अपनी रिपोर्ट स्वायत्त शासन विभाग को सौंप दी है।
अब राज्य सरकार इस रिपोर्ट के आधार पर अगली कानूनी कार्रवाई तय करेगी।
संभावना है कि मुनेश गुर्जर के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर आगे की कार्रवाई शुरू की जाए।
