ज्योर्तिविद् विमल जैन
सनातन धर्म में पूर्णिमा तिथि की विशेष महिमा है। आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि विशेष है, इस तिथि को शरद पूर्णिमा का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। धार्मिक व पौराणिक मान्यता के अनुसार शरद पूर्णिमा के पर्व को कौमुदी उत्सव, कुमार उत्सव, शरदोत्सव, रास पूर्णिमा, कोजागरी पूर्णिमा एवं कमला पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस पूर्णिमा में अनोखी चमत्कारी शक्ति निहित है।
ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि ज्योतिष गणना के अनुसार सम्पूर्ण वर्ष में आश्विन शुक्लपक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन ही चन्द्रमा षोडश कलाओं से युक्त होता है। षोडश कलायुक्त चन्द्रमा से निकली किरणें समस्त रोग व शोक हरने वाली बतलाई गई है। इस दिन चन्द्रमा पृथ्वी के सर्वाधिक निकट रहता है। इस रात्रि को दिखाई देने वाला चन्द्रमा अपेक्षाकृत अधिक बड़ा दिखलाई पड़ता है। ऐसी मान्यता है कि भू-लोक पर शरद पूर्णिमा के दिन लक्ष्मीजी प्रत्येक घर विचरण करती हैं, इस रात्रि में जो जागृत रहता है उसपर अपनी विशेष कृपा-वर्षा करती हैं।
शरद पूर्णिमा शुभ मुहूर्त
ज्योतिषविद् विमल जैन के अनुसार आश्विन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 6 अक्टूबर, सोमवार को दिन में 12 बजकर 24 मिनट पर लग रही है, जो कि 7 अक्टूबर, मंगलवार को प्रातः 8 बजकर 18 मिनट तक रहेगी। व्रत की पूर्णिमा 6 अक्टूबर, सोमवार को रहेगी जबकि स्नान-दानादि की पूर्णिमा 7 अक्टूबर, मंगलवार को रहेगी। रेवती नक्षत्र 6 अक्टूबर, सोमवार को अर्द्धरात्रि के पश्चात् 4 बजकर 02 मिनट से 7 अक्टूबर, मंगलवार को अर्द्धरात्रि के पश्चात् 1 बजकर 28 मिनट तक रहेगा।
शरद पूर्णिमा पर भगवान श्रीकृष्ण ने रचाया था महारास
पौराणिक मान्यता के मुताबिक भगवान श्रीकृष्ण ने आश्विन शुक्लपक्ष
की पूर्णिमा तिथि के दिन यमुना तट पर मुरली वादन करके गोपियों के संग महारास रचाया था। जिसके फलस्वरूप वैष्णवजन इस दिन व्रत उपवास रखते हुए इस उत्सव को मनाते हैं। इस दिन वैष्णवजन खुशियों के साथ हर्ष, उमंग, उल्लास के संग रात्रि जागरण भी करते हैं। इस पूर्णिमा को ‘कोजागरी पूर्णिमा’ भी कहा जाता है।
श्रीलक्ष्मीजी के होते हैं आठ स्वरूप
धनलक्ष्मी, धान्यलक्ष्मी, राजलक्ष्मी, वैभवलक्ष्मी, ऐश्वर्यलक्ष्मी, सन्तानलक्ष्मी, कमलालक्ष्मी एवं विजयलक्ष्मी। श्रीलक्ष्मी जी की पूजा-अर्चना आदि निशा बेला में की जाती है। इस बार 6 अक्टूबर, सोमवार को रात्रि में लक्ष्मीजी की विधि-विधानपूर्वक पूजा-अर्चना की जाएगी। कार्तिक स्नान के यम, व्रत व नियम तथा दीपदान आदि 7 अक्टूबर, मंगलवार से प्रारम्भ हो जाएंगे।
शरद पूर्णिमा पूजन विधि और महत्व
ज्योतिषविद् श्री विमल जैन जी ने बताया कि प्रातःकाल ब्रह्ममुहूर्त में उठकर समस्त दैनिक कृत्यों से निवृत्त हो स्वच्छ वस्त्र धारणकर अपने आराध्य देवी-देवता की पूजा के पश्चात् शरद पूर्णिमा के व्रत का संकल्प लेना चाहिए। श्रीलक्ष्मीजी व श्रीविष्णुजी का विधि-विधानपूर्वक पूजा-अर्चना करनी चाहिए।
शरद पूर्णिमा का दान
श्रीलक्ष्मीजी को करें अर्पित नवीन चौकी पर लाल या पीले वस्त्र बिछाकर श्रीलक्ष्मीजी की मनोरम प्रतिमा या चित्र स्थापित कर उन्हें नवीन वस्त्र, पुष्प, धूप-दीप, गन्ध, अक्षत, ताम्बूल, सुपारी, ऋतुफल एवं विविध प्रकार के मिष्ठान्नादि अर्पित करना चाहिए। गौ दूध से बनी खीर जिसमें दूध, चावल, मिश्री, मेवा, शुद्ध देशी घी मिश्रित हो, उसका नैवेद्य भी लगाया जाता है। रात्रि व्यापिनी शरद पूर्णिमा तिथि पर भगवती श्रीलक्ष्मीजी की आराधना करने से मनोभिलाषित कामनाएँ पूर्ण होती हैं। लक्ष्मीजी के समक्ष शुद्ध देशी घी का अखण्ड दीपक प्रज्वलित करें।
विशेष पाठ से मिलेगी समृद्धि श्रीसूक्त, श्रीकनकधारास्तोत्र, श्रीलक्ष्मीस्तुति, श्रीलक्ष्मी चालीसा का पाठ करना एवं श्रीलक्ष्मीजी का प्रिय मन्त्र ‘ॐ श्रीं नमः’ जप करना अत्यन्त फलदायी माना गया है।
चन्द्रकिरणों से मिलता है आरोग्य लाभ
ज्योतिषविद् विमल जैन ने बतलाया कि आरोग्य-लाभ के लिए शरद पूर्णिमा के चन्द्रकिरणों में औषधीय गुण विद्यमान रहते हैं। शरद पूर्णिमा की रात्रि में दूध से बनी खीर को चाँदनी की रोशनी में अति महीन श्वेत व स्वच्छ वस्त्र से ढँककर रखी जाती है, जिससे खीर पर चन्द्रमा के प्रकाश की किरणें पड़ती रहे। इस खीर को भक्तिभाव से प्रसाद के तौर पर भक्तों में वितरण करके स्वयं भी ग्रहण करते हैं, जिससे स्वास्थ्य लाभ होता है तथा जीवन में सुख-सौभाग्य की अभिवृद्धि होती है।
कार्तिक मास में दीपदान की महिमा
शरद पूर्णिमा की रात्रि से कार्तिक पूर्णिमा की रात्रि तक आकाश दीप जलाकर दीपदान करने की महिमा है। दीपदान करने से घर के समस्त दुःख-दारिद्र दूर होता है तथा सुख-समृद्धि का आगमन होता है। आकाशदीप प्रज्वलित करने से अकालमृत्यु का भय समाप्त होता है।
(विमल जैन हस्तरेखा विशेषज्ञ, रत्न-परामर्शदाता, फलित अंक ज्योतिषी एवं वास्तुविद् एस. 2/1-76 ए, द्वितीय तल, वरदान भवन, टैगोर टाउन एक्सटेंशन, भोजूबीर, वाराणसी-221002 मो. : 09335414722)