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जयपुर : एसएमएस अस्पताल में सीवी जंक्शन सर्जरी का लाइव डेमो

On: February 20, 2024 6:32 PM
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-देश के नामचीन न्यूरो सर्जन्स ने लिया हिस्सा
-थ्री डी टेक्नोलॉजी से न्यूरो सर्जरी पर हुए व्याख्यान

जयपुर। सवाई मान सिंह अस्पताल (SMS Hospital, Jaipur)के न्यूरो सर्जरी विभाग में पहली बार एक्सप्लोर क्रेनियो वर्टिब्रल जंक्शन वर्कशॉप का आयोजन किया गया। इसमें एम्स नईदिल्ली सहित देश के नामचीन न्यूरोसर्जन्स ने तिरछी रीड की हड्डी को सीधा करने (थोरको लेम्सा खिपोप्लिओस) लाइव ऑप्रेशन्स के पश्चात नई तकनीक के बारे में बताया।

वर्कशॉप के संयोजक व एसएमएस अस्पताल के न्यूरो सर्जन डॉ.जितेंद्र शेखावत ने बताया कि न्यूरो सर्जरी विभाग के ऑपरेशन थियेटर में दो सर्जरी का लाइव डेमो दिया गया। पहली सर्जरी लखनऊ के एसजीपीजीआई के न्यूरो सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. संजय बिहारी, सवाई मान सिंह अस्पताल, जयपुर के न्यूरो सर्जन डॉ. उगन मीणा, महात्मा गांधी हॉस्पिटल, जयपुर के न्यूरो सर्जन डॉ. पंकज गुप्ता ने की। इन चिकित्सकों ने आगरा निवासी देवेश की क्रेनियो वर्टिब्रल जंक्शन के एएडी यानी एटलांटो एक्जीयल डिस्लॉकेशन का करीब पांच घंटे में नई तकनीक से ऑपरेशन किया।

दूसरा ऑप्रेशन एम्स, नईदिल्ली के न्यूरो सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. सुशांत काले, न्यूरो सर्जन डॉ. गौरव जैन ने सिरसा निवासी 12 वर्षीय बालिका एकता की रीड की तिरछी हड्डी (थोरको लेम्सा खिपोप्लिओस) का किया। करीब नौ घंटे चले इस ऑप्रेशन का लाइव डेमो दिल्ली, जोधपुर, बीकानेर, लखनऊ सहित विभिन्न अस्पतालों के 55 न्यूरो सर्जन्स ने देखा। वर्कशॉप के दौरान एसएमएस मेडिकल कॉलेज, जयपुर के प्रिंसीपल डॉ. सुधीर भंडारी, एसएमएस अस्पताल के न्यूरो सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. एसके जैन व न्यूरो सर्जन डॉ. वीडी सिन्हा ने वर्कशॉप में लाइव डेमो देखा।

न्यूरो एनिसथीसिया विभाग की प्रभारी डॉ. शोभा पुरोहित ने एनीसथीसिया देकर सफल ऑप्रेशन करवाये। वर्कशॉप के उपरांत सीवी जंक्शन से जुड़ी बीमारियों व उनके उपचार की नई तकनीक के बारे में व्याख्यान दिये। इनमें न्यूरो सर्जन डॉ. जितेंद्र शेखावत ने नई थ्री डी टेक्नोलॉजी के बारे में विस्तारपूर्वक बताया।

उन्होंने बताया कि इस टेक्नोलॉजी से अब तक एसएमएस के न्यूरो सर्जरी विभाग ने 28 ऑप्रेशन किये हैं। इसका सबसे बड़ा फायदा ये है कि इस तकनीक से मरीज के कॉम्पलीकैशन्स करीब 50 फीसदी से भी कम हो जाते हैं। ब्लड लोश की संभावना भी बहुत कम होती है। साथ ही ऑप्रेशन में समय भी कम लगता है। मरीज के स्वास्थ्य में तेजी से सुधार आता है।

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