बीकानेर, 25 अक्टूबर 2025। बीकानेर के पूर्व राजघराने से जुड़ा वर्षों पुराना संपत्ति और ट्रस्ट विवाद एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। शुक्रवार को उस समय हंगामा मच गया जब राज्यश्री कुमारी को जूनागढ़ किले स्थित पारिवारिक मंदिर में प्रवेश से रोक दिया गया। बताया जा रहा है कि उन्हें रोकने के लिए मौके पर पुलिस जाब्ता बुलाया गया, जिसमें कोटगेट थानाधिकारी विश्वजीत सिंह भी मौजूद रहे।
करीब एक घंटे तक दोनों पक्षों के बीच वाद-विवाद और तर्क-वितर्क का दौर चलता रहा, लेकिन पुलिस ने राज्यश्री कुमारी को मंदिर में प्रवेश की अनुमति नहीं दी।

⚖️ कोर्ट के आदेश का हवाला देने के बावजूद नहीं मिला प्रवेश
राज्यश्री कुमारी के अधिवक्ताओं – एडवोकेट कमल नारायण पुरोहित और अविनाश व्यास – ने 13 अक्टूबर को एडीजे कोर्ट-3 द्वारा दिए गए आदेश की प्रति पुलिस को दिखाई, जिसमें उन्हें ट्रस्ट की प्रशासक के रूप में मान्यता दी गई थी।
इसके बावजूद पुलिस ने उन्हें मंदिर में जाने से रोक दिया।
वहीं, विधायक सिद्धि कुमारी के वकील अशोक व्यास ने कोर्ट के आदेश को “भ्रमित करने वाला” बताते हुए विरोध किया। स्थिति बिगड़ने की आशंका को देखते हुए पुलिस ने किसी पक्ष को अंदर नहीं जाने दिया, जिसके बाद राज्यश्री कुमारी को मंदिर परिसर से लौटना पड़ा।
🕊️ राज्यश्री कुमारी बोलीं – “हमें न्याय मिलेगा”
मीडिया से बातचीत में राज्यश्री कुमारी ने कहा –
“यह हमारे परिवार का मंदिर है। मुझे मेरे ही घर के मंदिर में प्रवेश से रोका गया, जो दुर्भाग्यपूर्ण है। आज मेरे भाई और बीकानेर के पूर्व महाराजा नरेंद्र सिंह की पुण्यतिथि है, ऐसे दिन दर्शन से रोकना निंदनीय है।”
उन्होंने आगे कहा कि उन्हें कानून पर पूरा भरोसा है और न्याय अवश्य मिलेगा।

⚔️ राजनीतिक दबाव का आरोप
राज्यश्री कुमारी ने बीकानेर पूर्व की विधायक सिद्धि कुमारी पर राजनीतिक दबाव और मनमानी का आरोप लगाया।
“सिर्फ विधायकी के प्रभाव में पुलिस को बुलाया गया और मुझे मंदिर जाने से रोका गया,” – उन्होंने कहा वहीं, सिद्धि कुमारी की ओर से इस पूरे घटनाक्रम पर अब तक कोई बयान जारी नहीं किया गया है।
🏰 जूनागढ़ ट्रस्ट विवाद की पृष्ठभूमि
बीकानेर के पूर्व महाराजा डॉ. करणी सिंह की वसीयत के अनुसार उनकी संपत्ति और ट्रस्टों की देखरेख के लिए 5 प्रशासकों की नियुक्ति की गई थी –
- डॉ. करणी सिंह की पत्नी सुशीला कुमारी,
- राज सिंह डूंगरपुर,
- अरविंद सिंह मेवाड़,
- मानेकशा, और
- राज्यश्री कुमारी।

इनमें से चार प्रशासकों के निधन के बाद राज्यश्री कुमारी एकमात्र जीवित प्रशासक रह गई हैं। राज्यश्री ने कोर्ट में कहा कि यही कारण है कि ट्रस्ट का नियंत्रण उनके पास है। वहीं, सुशीला कुमारी के निधन के बाद उनकी बेटी सिद्धि कुमारी ने संपत्तियों पर स्वामित्व का दावा किया, जिससे यह विवाद शुरू हुआ।
⚖️ कोर्ट में मामला अभी लंबित
सिद्धि कुमारी ने जिला न्यायालय में एक वाद दायर कर राज्यश्री कुमारी के प्रशासक होने के अधिकार को चुनौती दी थी। कोर्ट ने फिलहाल किसी भी पक्ष को संपत्तियों में परिवर्तन या हस्तक्षेप करने से रोकते हुए स्थगन आदेश (Stay Order) जारी किया है। राज्यश्री इस आदेश को अपने पक्ष में मानती हैं और ट्रस्ट के संचालन का अधिकार अपने पास बताती हैं।
💰 कौन-से ट्रस्ट हैं विवाद की जड़ में
बीकानेर के राजघराने से जुड़ी पाँच प्रमुख ट्रस्ट संस्थाएं इस विवाद के केंद्र में हैं –
- महाराजा गंगा सिंह ट्रस्ट
- महाराजा राय सिंह ट्रस्ट
- करणी सिंह फाउंडेशन
- करणी चैरिटेबल ट्रस्ट
- महारानी सुशीला कुमारी ट्रस्ट
इन ट्रस्टों के अधीन लालगढ़ पैलेस और लक्ष्मी निवास पैलेस जैसी ऐतिहासिक संपत्तियाँ हैं, जिनकी कीमत अरबों रुपए बताई जाती है। वर्तमान में बीकानेर पूर्व विधायक सिद्धि कुमारी लालगढ़ पैलेस के एक हिस्से में निवास करती हैं, जहाँ पूर्व राजमाता सुशीला कुमारी भी अपने जीवनकाल में रहती थीं।













