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राजनीतिक नियुक्तियों की कवायद : बीकानेर संभाग से कई नेताओं को जिम्मेदारी दे जातीय समीकरण साध सकती है सरकार

On: August 24, 2025 2:47 PM
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बीकानेर। प्रदेश सरकार में राजनीतिक नियुक्तियों की चर्चा फिर जोर पकड़ चुकी है। डॉ. अरुण चतुर्वेदी के वित्त आयोग के अध्यक्ष बनने के बाद चर्चा का यह बाजार और भी गर्म है। मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा के सतत दिल्ली दौरे कहीं-ना-कहीं इसके संकेत भी देते हैं। पिछली सरकार की ताबड़तोड़ नियुक्तियों की तर्ज पर काम हुआ तो यह फेहरिस्त बहुत लंबी हो सकती है, लेकिन बीकानेर संभाग की बात करें तो लगभग आधा दर्जन नेताओं को कोई ना कोई जिम्मेदारी मिलने की संभावना है।

इस सूची में सबसे बड़ा नाम राजेंद्र राठौड़ का है। राठौड़ राजस्थान की राजनीति के कद्दावर नेता हैं। लगातार सात बार चुनाव जीतकर राठौड़ ने इसे साबित भी किया। हालांकि पिछले विधानसभा चुनाव में हार से उनके राजनीतिक करियर को बड़ा झटका जरूर लगा लेकिन नेता प्रतिपक्ष रहे राठौड़ को सरकार जल्दी कोई ना कोई जिम्मेदारी देगी, ऐसा माना जा सकता है। इस सूची में चूरू के ही दूसरे नेता हो सकते हैं, राजकुमार रिणवा। रिणवा ने एक समय में निर्दलीय चुनाव लड़ हरिशंकर भाभड़ा जैसे कद्दावर नेता को हराकर बड़ा उलटफेर किया। फिर भाजपा में शामिल हुए और वसुंधरा सरकार में मंत्री बने। सरकार रिणवा को भी किसी बोर्ड अथवा आयोग का जिम्मा सौंप सकती है।

बीकानेर जिले की बात करें तो संभाग मुख्यालय होने और राजनीति में क्षेत्र की बड़ी दखल होने के कारण यहां के दावेदारों की सूची भी लंबी है। गत सरकार में भी बीकानेर जिले से तीन मंत्री होने के बावजूद रामेश्वर डूडी, महेंद्र गहलोत, लक्ष्मण कड़वासरा और मदन गोपाल मेघवाल को सरकार में हिस्सेदारी मिली। इस बार भी बड़े राजपूत नेता देवीसिंह भाटी, नोखा के बिहारी लाल बिश्नोई, बीकानेर शहर से भाजपा के दो बार अध्यक्ष रह चुके विजय आचार्य और नगर विकास न्यास के पूर्व अध्यक्ष महावीर रांका को कोई जिम्मेदारी मिलने की उम्मीद है।

हालांकि रामगोपाल सुथार को सरकार बनते भी श्री विश्वकर्मा कौशल विकास बोर्ड का अध्यक्ष बनाकर इस सूची की शुरुआत तो पहले से ही की जा चुकी है। श्रीगंगानगर से देखें तो भाजपा से लोकसभा चुनाव लड़ चुकी प्रियंका बेलान और उभरते जाट नेता विजेंद्र पूनिया को कोई ना कोई जिम्मेदारी मिलेगी, ऐसे कयास लगाए जा सकते हैं।

हालांकि करणपुर के भाजपा प्रत्याशी रहे सुरेंद्र पाल सिंह टीटी के मंत्री बनने के बावजूद हार जाना बड़ी राजनीतिक घटना रही, ऐसे में किसी किसी सिक्ख नेता को भविष्य में मंत्रिमंडल में शामिल करने की संभावनाएं बन सकती हैं। वैसे, श्रीगंगानगर से प्रहलाद राय टाक को पहले से ही श्री यादें माटी कला बोर्ड का अध्यक्ष बनाया जा चुका है। हनुमानगढ़ से रामप्रताप कासनिया या डॉ. रामप्रताप को किसी जिम्मेदारी के लिए चुना जा सकता है।

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